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कोविड के संकट काल में वरदान बना है ‘‘ ई मुलाकात‘‘
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जयपुर। महामारी के इस मुश्किल दौर में सूचना प्रोद्योगिकी एवं संचार के अनुप्रयोग शासन एवं आमजन के लिए एक वरदान साबित हो रहे है। राज्य सूचना अधिकारी एनईसी तरूण तोशनीवाल ने बताया कि गृह विभाग राजस्थान सरकार के अंतर्गत कारागारों में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंन्द्र भारत सरकार द्वारा विकसित ई-मुलाकात इसी श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
उन्होंने बताया कि ई-मुलाकात के तहत जेल बंदी के परिवारजन विभाग के पोर्टल eprisons.nic.in पर मिलने बाबत अपना आवेदन दर्ज करवाते है। जिसमें उनका नाम पता मोबाइल न. ईमेल आदि उपलब्ध करवाये जाते है। साथ ही संबंधित बंदी का नाम आदि भी दर्ज करवाते है। तत्पश्चात् कारागार विभाग के द्वारा इस आग्रह पर कार्यवाही कर प्रार्थी को वेबलिंक एवं पिन को उसके ई-मेल पर प्रेषित किया जाता है। जिसमें मिलने का दिन समय का वर्णन सूचित किया जा है। उपरोक्त समय पर प्रार्थी उपने पीसी या मोबाईल से जुडकर जेल के विडियों कॉन्फ्रेंसिंग से जुड जाता है तथा पॉच मिनट के उपरांत लिंक का स्वत संबंध विच्छेद हो जाता है।
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के तकनीकी निदेशक अरविंद कुमार शर्मा ने बताया कि जेल विभाग इस इलेक्ट्रोनिक मुलाकात को अभिलेखबद्ध रेकॉर्ड भी करता है। ई- मुलाकात की शुरूआत 1 अप्रैल 2020 को महानिदेशक जेल द्वारा किया गया था तथा आज तक करीब 5000 वीसी मुलाकात संपादित की जा चुकी है। यह एक सहज एवं सुगम प्रक्रिया है जिससे सामाजिक दूरी की अनुपालना करते हुए संबन्धित व्यक्ति एक दूसरे से जुड रहे है। एक और परिवारजन अपने घरों से बिना बाहर निकले सीधे बंदी से संचार माध्यम से जुड रहे हैं वही कारागार में इस कारण अनावश्यक भीड आदि भी नही हो रही हैं।
अप महानिरीक्षक जेल, विकास कुमार ने बताया कि अभी यह व्यवस्था राज्य में स्थापित कुल 142 कारागारों में से 100 जेल में सुचारू है और हम शेष कारागारों में भी इसे शीघ्र ई-मुलाकात लागू किया जा रहा है। ताकि आमजन को इसका अधिकाधिक लाभ मिल सके राजस्थान इस प्रक्रिया को लागू करने वाला अग्रणी राज्य हैं ई-मुलाकात के लिए प्रार्थी के पास स्मार्ट फोन या पीसी व इंटरनेट की उपलब्धता के साथ साथ इसके संचालन की साधारण जानकारी भी होनी चाहिए।
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