सभी जिलों में अधिकारी मुख्यालय पर रहकर पेयजल आपूर्ति की सघन मॉनिटरिंग करें - प्रमुख शासन सचिव


जयपुर। प्रदेश के जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव राजेश यादव ने राज्य में तेज गर्मी के दौर को देखते हुए जिलों में कार्यरत अधिकारियों को मुख्यालय पर रहते हुए अपने क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति व्यवस्था के लिए सघन मॉनिटरिंग के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की नियमित आपूर्ति के साथ ही मरुस्थलीय एवं कम वर्षा वाले क्षेत्रों में लोगों की जरूरत के मुताबिक टैंकर्स के माध्यम से जल परिवहन की व्यवस्था तत्परता से सुनिश्चित करे, इसमें किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाए।


यादव मंगलवार को जयपुर में झालाना स्थित जल एवं स्वच्छता सहयोग संगठन के कार्यालय में जलदाय विभाग की साप्ताहिक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने अधिकरियों को स्थितियों पर लगातार नजर रखते हुए सभी नियंत्रण कक्षों के माध्यम से लोगों की शिकायतों का त्वरित निस्तारण करने और विभाग के सूचना तंत्र को चाक-चौबंद बनाए रखने के भी निर्देश दिए।


प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि मौसम विभाग के अगले कुछ दिनों में तेज गर्मी के अलर्ट के मद्देनजर जिलो में कार्यरत सभी अधिकारी पूरी सर्तकता बरते, किसी भी अधिकारी को इस दौरान मुख्यालय छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने सभी जिलों में जिला कलक्टर्स को कंटीजेंसी प्लान के तहत स्वीकृत 50-50 लाख की राशि के तहत चल रहे कार्यों को समय पर पूरा करने और आवश्यकता अनुसार अतिरिक्त मांग के प्रस्ताव भी भिजवाने के निर्देश दिए।

यादव ने कहा कि पूरे प्रदेश में बाहर के राज्यों से प्रवासी मजदूर और अन्य प्रवासी लोग बड़ी संख्या में आए हुए है, जिनकों अलग-अलग जिलों में स्कूल और धर्मशालाओं में बनाए गए क्वारंटीन सेंटर्स में रखा गया है। ऐसे सभी सेंटर्स पर भी पेयजल आपूर्ति को बदस्तूर जारी रखने के लिए सभी जिलों में अतिरिक्त सर्तकता बरती जाए।


बैठक में बताया गया कि वर्तमान में प्रदेश के 38 शहरों में 396 टैंकर्स के माध्यम से 2468 ट्रिप प्रतिदिन तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 844 गांवों एवं 796 ढाणियों में 519 टैंकर्स के माध्यम से 1905 ट्रिप प्रतिदिन के आधार पर जल परिवहन की व्यवस्था की जा रही है। गत एक अप्रेल से जारी 44वें हैंड पम्प मरम्मत अभियान के तहत शहरी क्षेत्रों में 3424 तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 28 हजार 180 हैंड पम्पों की मरम्मत की गई है। इसके साथ ही 676 हैंड पम्प, 989 ट्यबवेल्य एवं 76 सिंगल फेज ट्यूबवेल्स खोद गए है, जबकि 359 हैंड पम्प, 352 ट्यबवेल्य एवं 15 सिंगल फेज ट्यूबवेल्स की कमीशनिंग की जा चुकी है। यह भी जानकारी दी गई कि गत 24 मार्च से लॉकडाउन एवं गर्मियों में लोगों की पेयजल से सम्बंधित समस्याओं की सुनवाई के लिए स्थापित राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष पर अब तक दर्ज 714 में से 683 तथा जिलों में कार्यरत नियंत्रण कक्षों में प्राप्त 8618 प्रकरणों में से 8453 का निस्तारण किया जा चुका है।


बैठक में प्रमुख शासन सचिव ने प्रत्येक जिले में सूख जाने वाले चुनिंदा हैंडपम्प वाले स्थानों पर हैण्ड पम्प खोद जाने के समय वाटर लेवल की स्थिति,औसत वर्षा तथा हैंडपम्प सूख जाने के बाद जल स्तर की स्थिति के आधार पर वाटर रिचार्ज के बारे में नीति बनाने के बारे में चर्चा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने प्रदेश में चल रहे पेयजल प्रोजेक्ट्स की सतत मॉनिटरिंग के लिए प्रत्येक पखवाड़े में विभाग के विशिष्ट सचिव एवं उप शासन सचिवों के स्तर पर भी अलग से समीक्षा किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रोजेक्ट के लिए कार्यादेश जारी किए जाने के बाद तय टाईमलाइन के हिसाब से नियमित मॉनिटरिंग हो।


इसके अलावा बैठक में अटल भू-जल मिशन, अंतरविभागीय मुद्दों के समाधान, देरी से चल रहे प्रोजेक्ट्स की स्थिति, जल जीवन मिशन की प्रगति, विभागीय सम्पतियों की जियो टैगिंग, आरओ प्लांट्स एवं डीएफयू यूनिट्स के निरीक्षण, पेयजल नमूनों का संग्रहण एवं जांच सहित अन्य बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की गई।


बैठक में उप शासन सचिव आरएस मक्कड़, मुख्य अभियंता (शहरी एवं एनआरडब्ल्यू) सीएम चौहान, मुख्य अभियंता (ग्रामीण) आरके मीना, मुख्य अभियंता (प्रशासन) संदीप शर्मा तथा मुख्य अभियंता (भू-जल) श्री सूरजभान सिंह के अलावा अन्य सम्बंधित अधिकारी मौजूद थे।


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