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एआरडीएस के बारे में जागरूकत बढ़ाना महत्वपूर्ण विषय है ताकि समय पर इलाज शुरू किया जा सके - मोदी

विश्व ARDS जागरूकता दिवस पर सीएमई का आयोजन...

आगाज केसरी

जयपुर। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जयपुर शाखा (जेएमए) व भारतीय क्रिटिकल केयर मेडिसिन सोसाइटी (ISCCM) के संयुक्त तत्वावधान में सीएमई का आयोजन जेएमए सभागार में किया गया। आयोजन का विषय ARDS (एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम) था। 

ARDS या एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम एक गंभीर और जानलेवा फेफड़ों की स्थिति है जिसमें फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा हो जाता जिससे ऑक्सीजन रक्त में जाने में कठिनाई होती है। यह विभिन्न कारको के कारण हो सकता है जैसे कि निमोनिया, सेप्सिस, या हानिकारक पद के साँस लेने से।

एआरडीएस के लक्षणः

श्वसन समस्याएं: सांस लेने में कठिनाई, तेज़ और उथली साँसें

ऑक्सीजन की कमीः त्वचा या नाखूनों का नीला पड़ना

थकान और भ्रमः ऑक्सीजन की कमी के कारण मांसपेशि थकान और मानसिक भ्रम

एआरडीएस के कारणः

निमोनियाः फेफड़ों के संक्रमण के कारण

सेप्सिसः शरीर में गंभीर संक्रमण के कारण

हानिकारक पदार्थों का साँस लेनाः धुएं, रासायनिक धुएं कारण

चोट और सर्जरीः गंभीर चोट या सर्जरी के बाद

एआरडीएस का इलाजः

ऑक्सीजन थेरेपीः ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाने के लिए

मैकेनिकल वेंटिलेशनः सांस लेने में मदद के लिए

दवाएंः अंतर्निहित कारणों के इलाज के लिए

आयोजन के मुख्य अतिथि डॉ दीपक माहेश्वरी प्रधानाचार्य नियंत्रक एसएमएस मेडिकल कालेज थे। डॉ माहेश्वरी में कहा एआरडीएस एक गंभीर बीमारी है जिसका समय रहते इलाज जरूरी है। जेएमए अध्यक्ष डॉ जगदीश मोदी ने बताया कि यह फेफड़ो की एक गंभीर है जिसमे मरीज़ का सांस लेना मुश्किल हो जाता है। जेएमए के सचिव अनुराग तोमर ने बताया की इसमें फेफड़ो में तेज़ी से सूजन एवं पदार्थ का निर्माण हो जाता है जिस से सांस में तकलीफ आने लगती आईएससीसीएम जयपुर के अध्यक्ष डॉ मोहित रॉय ने बताया कि बीमारी में मरीज़ को आईसीयू में रखना पड़ सकता है। आईएससी जयपुर के सचिव डॉ निखिल अजमेरा ने बताया कि अति गंभीर मरिज वेंटीलेटर सपोर्ट की भी ज़रूरत पड़ जाती है। आईएससीसीएम जयपुर के कोषाध्यक्ष डॉ चंद्रशेखर गौड़ ने बताया की अंतिम उपचार के रूप में की आश्यकता भी होती है।

इस सीएमई में चार वक्ताओं डॉ अजीत सिंह (श्वसन रोग विशेषज्ञ) डॉ योगेन्द्र सिंह गुर्जर, डॉ वैभव भार्गव एवं डॉ अरुण शर्मा (गहन चिकित्सा विशेषज्ञ) ने अपने व्याख्यान दिये। इस सीएमई में 150 से चिकित्सकों ने भाग लिया। एआरडीएस के बारे में जागरूकत बढ़ाना महत्वपूर्ण विषय है ताकि समय पर इलाज शुरू किया जा सके और इस स्थति से बचा जा सके।

अंत में जेएमए सचिव डॉ.अनुराग तोमर ने सभी वक्ताओं का का धन्यवाद दिया।

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