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सनातन समस्या नहीं समाधान है - स्वामी चिदानंद सरस्वती

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जयपुर। सनातन तोड़ना या बांटना नहीं सिखाता, सनातन जोड़ना सीखना है प्रेम सिखाता है, सनातन समस्या नहीं अपितु समस्याओं का समुचित समाधान है। नियमित ध्यान करना एवं नकारात्मक बातों पर रिएक्शन नहीं करना चाहिए। यह मार्गदर्शन अंतर्राष्ट्रीय संत स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने जयश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल महापुरा में सर्वमंगलाय सनातन धर्म फाउंडेशन के शुभारंभ के तहत आयोजित सनातन जयघोष में प्रदान किया।  समारोह में सम्मिलित होने ऋषिकेश से जयपुर पधारे स्वामी चिदानंद सरस्वती एवं साध्वी भगवती सरस्वती का सार्वजनिक अभिनंदन जयश्री परिवार स्कूल के निदेशक आयुष परिवार द्वारा पुष्प गुच्छ भेंट कर, आयोजन स्वागत समिति के अध्यक्ष गोकुल माहेश्वरी एवं सर्वमंगलाय सनातन धर्म फाउंडेशन के संस्थापक योगाचार्य योगी मनीष ने राधा कृष्ण भगवान की युगल छवि भेंट कर किया। समारोह के विशिष्ट अतिथि विधायक बालमुकुंद आचार्य, ब्रह्माकुमारी बीके सुषमा, बीके चंद्रकला, योगाचार्य ढाका राम एवं समाजसेवी सुरेश मिश्रा आदि ने गौ पूजन, वृक्षारोपण भी किया। अतिथियों के आगमन पर सनातन जयघोष आयोजन समिति के आनंद कृष्ण कोठारी, राकेश गर्ग, मनीष मालू

आरटीई एक्ट के तहत निजी स्कूलों में निशुल्क प्रवेश के लिए अभिभावकों की आय सीमा होगी ढाई लाख, मुख्यमंत्री ने दी मंजूरी


जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निशुल्क शिक्षा एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 (आरटीई एक्ट) के तहत प्रदेश के गैर सरकारी विद्यालयों में 25 प्रतिशत सीटों पर दुर्बल वर्ग एवं असुविधाग्रस्त समूह के निशुल्क प्रवेश के लिए अभिभावकों की वार्षिक आय सीमा एक लाख रूपए के स्थान पर ढाई लाख रूपए करने को मंजूरी दी है। 

 

गहलोत की इस स्वीकृति से प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम की भावना को मजबूती मिलेगी। आय सीमा बढ़ाने से दुर्बल वर्ग और असुविधाग्रस्त समूह के और अधिक बच्चे गैर सरकारी स्कूलों में निशुल्क प्रवेश पा सकेंगे। मुख्यमंत्री के इस निर्णय से बड़ी संख्या में इस वर्ग के वे बच्चे भी बड़े एवं नामी निजी स्कूलों में निशुल्क शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे जो गत सरकार द्वारा अभिभावकों की आय सीमा ढ़ाई लाख रूपए सालाना से घटाकर एक लाख रूपए करने के कारण वंचित हो गए थे। 

 

उल्लेखनीय है कि बीते दिनों शिक्षा विभाग की वीडियो कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री ने इस बात पर बल दिया था कि निशुल्क शिक्षा एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम की भावना के अनुरूप जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को लाभ दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की थी कि अभिभावकों की आय सीमा घटाने के फैसले के कारण जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को गैर सरकारी स्कूलों में निशुल्क शिक्षा ग्रहण करने का अवसर नहीं मिल पा रहा है, जो कि इस अधिनियम की मूल भावना के विपरीत है।

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