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सनातन समस्या नहीं समाधान है - स्वामी चिदानंद सरस्वती

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जयपुर। सनातन तोड़ना या बांटना नहीं सिखाता, सनातन जोड़ना सीखना है प्रेम सिखाता है, सनातन समस्या नहीं अपितु समस्याओं का समुचित समाधान है। नियमित ध्यान करना एवं नकारात्मक बातों पर रिएक्शन नहीं करना चाहिए। यह मार्गदर्शन अंतर्राष्ट्रीय संत स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने जयश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल महापुरा में सर्वमंगलाय सनातन धर्म फाउंडेशन के शुभारंभ के तहत आयोजित सनातन जयघोष में प्रदान किया।  समारोह में सम्मिलित होने ऋषिकेश से जयपुर पधारे स्वामी चिदानंद सरस्वती एवं साध्वी भगवती सरस्वती का सार्वजनिक अभिनंदन जयश्री परिवार स्कूल के निदेशक आयुष परिवार द्वारा पुष्प गुच्छ भेंट कर, आयोजन स्वागत समिति के अध्यक्ष गोकुल माहेश्वरी एवं सर्वमंगलाय सनातन धर्म फाउंडेशन के संस्थापक योगाचार्य योगी मनीष ने राधा कृष्ण भगवान की युगल छवि भेंट कर किया। समारोह के विशिष्ट अतिथि विधायक बालमुकुंद आचार्य, ब्रह्माकुमारी बीके सुषमा, बीके चंद्रकला, योगाचार्य ढाका राम एवं समाजसेवी सुरेश मिश्रा आदि ने गौ पूजन, वृक्षारोपण भी किया। अतिथियों के आगमन पर सनातन जयघोष आयोजन समिति के आनंद कृष्ण कोठारी, राकेश गर्ग, मनीष मालू

कोरोना के उपचार में मददगार साबित हो रहा ‘आयुष 64‘ फार्मूला

प्रदेश के सभी राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय पर भी है निःशुल्क उपलब्ध - चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद मंत्री

जयपुर। चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा है कि देश के प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिकों का मानना है कि आयुष मंत्रालय की केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित एक पाली हर्बल फॉर्मूला आयुष 64, लक्षणविहीन, हल्के और मध्यम कोविड-19 संक्रमण के उपचार के सहयोग में लाभकारी है। उन्होंने कहा यह दवा व अन्य आयुर्वेद दवाएं  जैसे अश्वगंधा, गिलोय वटी, मुलेठी, अनुतेल आदि राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालयों व औषधालयों में उपलब्ध कराई जा रही हैं।

आयुर्वेद मंत्री ने कहा कि कोविड महामारी के विश्वव्यापी कहर के बीच ‘आयुष 64’ दवा हल्के और मध्यम कोविड संक्रमण के रोगियों के लिए आशा की एक किरण के रूप में उभरी है। गौरतलब है कि आयुष 64 मूल रूप से मलेरिया की दवा के रूप में वर्ष 1980 में विकसित की गई थी और कोविड संक्रमण के लिए काम में ली गई है। उन्होंने बताया कि हाल में आयुष मंत्रालय तथा सीएसआईआर द्वारा हल्के से मध्यम कोविड संक्रमण के प्रबंधन में आयुष 64 की प्रभावकारिता और इसके सुरक्षित होने का मूल्यांकन करने के लिए एक व्यापक और गहन बहु-केंद्र नैदानिक (क्लीनिकल) परीक्षण पूरा किया गया है।
     
डॉ. शर्मा ने बताया कि आयुष 64, सप्तपर्ण, कुटकी, चिरायता एवं कुबेराक्ष औषधियों से बनी है। यह व्यापक वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर बनाई गई है और सुरक्षित तथा प्रभावी आयुर्वेदिक दवा है। इस दवाई को लेने की सलाह आयुर्वेद एवं योग आधारित नेशनल क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल द्वारा भी दी गयी है जोकि आईसीएमआर की कोविड प्रबंधन पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स के निरीक्षण के बाद जारी किया गया था।

केंद्रीय आयुर्वेदीय अनुसन्धान संस्थान के महानिदेशक डॉ. एन. श्रीकांत का मानना है कि जोधपुर और मेडिकल कॉलेजों सहित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़, किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, नागपुर, दत्ता मेघे इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, नागपुर  जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में आयुष 64 पर अध्ययन जारी है। उन्होंने बताया कि अब तक मिले परिणामों ने हल्के और मध्यम कोविड-19 संक्रमणों से निबटने में इसकी भूमिका स्पष्ट तौर पर जाहिर की है। उन्होंने यह भी बताया कि सात नैदानिक (क्लीनिकल) अध्ययनों के परिणाम से पता चला है कि आयुष 64 के उपयोग से संक्रमण के जल्दी ठीक होने और बीमारी के गंभीर होने से बचने के संकेत मिले हैं।

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