जयपुर। तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि पर्यावरण एवं सतत विकास के लिए देश प्रदेश के युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होना होगा। उन्होंने कहा कि हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि हमारे पास जो प्राकृतिक संसाधन है उस पर उपयुक्त नीति होनी चाहिए।
डॉ. गर्ग यहां कोविड- 19 महामारी की विषम परिस्थितियों में पर्यावरण एवं सतत विकास में शिक्षकों की भूमिका विषय पर पॉलिटेक्निक महाविद्यालयों द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन बेबिनार में बोल रहे थे। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के उपलक्ष्य में राज्य के इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक विद्यार्थियों के द्वारा वर्ष 2019 में वृक्षारोपण़ अभियान चला कर 5 हजार से अधिक पौधे लगाए गये तथा उनके वृक्ष बनने तक संरक्षण का संकल्प लिया गया। इस अति महत्वपूर्ण बेबिनार में 3 हजार 244 से अधिक शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं पर्यावरण प्रेमियों ने भाग लिया।
डॉं. गर्ग ने सभी तकनीकी शिक्षकों विशेषज्ञों, वैज्ञानिक, वार्ताकार एवं उपस्थित सभी को विश्व पर्यावरण दिवस पर धन्यवाद करते हुए सबका आभार प्रकट करते हुए बताया कि पर्यावरण के क्षेत्र में जो समस्या आ रही है या आयेगी, उसका मुकाबला हम सबको मिलकर करना है। कोरोना के वैश्विक संकट के दौरान जो वैश्विक महामारी आयी है, उसने हम सबको मजबूर कर दिया है कि जिन चीजों को हम नजर अंदाज करके चल रहे थे जैसे पर्यावरण संतुलन का मामला होे, चाहे वनसम्पदा के संरक्षण का मामला हो, चाहे पर्यावरण के सतत विकास की बात हो, वो आज हमारी आवश्यकता है। एक तरफ देश और प्रदेश में कोरोना का दबाव है, दूसरी तरफ जी.डी.पी. को बढ़ाने, आर्थिक विकास में वृद्धि करना, आर्थिक विकास बढ़ाने के लिये उत्पादन बढाना पड़ेगा, रोजगार सृजन करना पड़ेगा, यह चुनौतियां है। भारत एक विकासशील देश है। जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है दूसरी तरफ हमारे प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं, हमारे देश में भूमि एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों की मात्रा सीमित है। उन प्राकृतिक संसाधनों का हम अंधाधुंध उपयोग नहीं कर सकते या दोहन नहीं कर सकते। हमारी धरती की मात्रा निश्चित है।
सरकार कड़ा कानून बनाती है इसके बावजूद भी अवैध दोहन हो रहा है जिससे पर्यावरण संतुलन को अत्यधिक नुकसान हो रहा है। इसी गति से हम चलते रहे तो बहुत जल्दी ही अपने प्राकृतिक संसाधनों को हम खो देंगे। आज के दिन हम सबका कर्तव्य बनता है कि हम सब मिलकर के किस तरह से पाठ्यक्रम में पर्यावरण एवं सतत विकास को सम्मिलित करते हुए अपने विद्यार्थियों को जागरूक कर, आने वाले समय में किस तरह की नीति बनायी जाये कि सभी नागरिक उसका पालन करें।
तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री ने बताया कि निश्चित ही हम वर्तमान की बात करते हैं, वर्तमान में इन समस्याओं से किस प्रकार छुटकारा पाया जाये। भविष्य के प्रति हमारी जिम्मेदारी है, आने वाली पीढ़ी के हितों का संरक्षण करना, आप प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध तरीके से प्रयोग नहीं कर सकते हैं। हम सबको मिलकर प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग कर, संरक्षण कर प्रदेश एवं राष्ट्र निर्माण में एक महत्वपूर्ण भागीदारी निभानी होगी।
तकनीकी शिक्षा निदेशक एवं तकनीकी शिक्षा बोर्ड चेयरमैन पर्यावरणविद् आचार्य दरिया सिंह ने इस अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालयोें की गतिविधियों एवं पर्यावरण संरक्षण के सम्बंध में विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर महाविद्यालयों के शिक्षकों ने विचार व्यक्त किये।
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