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श्री श्री कृष्ण बलराम मंदिर के 12वें पाटोत्सव पर आयोजित होगा पांच दिवसीय विशाल महोत्सव

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10 मई से 14 मई को मनाया जाएगा मंदिर का 12वाँ पाटोत्सव... जयपुर। जगतपुरा के श्री श्री कृष्ण बलराम मंदिर में इन दिनों आध्यात्म की लहर दौड़ रही है, सभी भक्त और श्रद्धालु बहुत ही उत्साहित हैं क्योंकि मंदिर में पांच दिन के विशाल महोत्सव का आयोजन होने वाला है। आगामी 10 मई से 14 मई को मंदिर का 12वाँ पाटोत्सव मनाया जाएगा जिसकी तैयारियां पूरे जोर शोर से चल रही है, इन पांच दिनों में मंदिर में कई विशेष आयोजन होंगे जिनमे भक्त महाभिषेक कीर्तन, पालकी, भजन संध्या आदि का आनंद लेंगे।  ‘पाटोत्सव’ का अर्थ है भगवान् की प्रतिमा प्रतिष्ठा का महोत्सव, श्री श्री कृष्ण बलराम मंदिर के पांच दिवसीय ‘पाटोत्सव’ के पहले दिन सुदर्शन पूजा, महा आरती और सुदर्शन हवन होगा। दूसरे दिन 11 मई को जगतपुरा फ्लाई ओवर से श्री श्री कृष्ण बलराम मंदिर तक विशाल रथ यात्रा का आयोजन होगा,जिसमे पूरे जयपुर से हज़ारों भक्त भाग लेंगे और भगवान् की भक्ति करने का आनंद लेंगे। साथ ही 12 मई को मंदिर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा जिसमे शिशुपाल वध नाटक का मंचन होगा, श्री श्री कृष्ण बलराम का पालकी उत्सव होगा। 13 मई ‘पाटोत्सव’ के चौथे दिन सा

श्री कृष्ण बलराम मंदिर में गोवर्धन पूजा व अन्नकूट महोत्सव मनाया गया

जयपुर। जगतपुरा  स्थित श्री कृष्ण बलराम मंदिर में भव्य गोवर्धन पूजा व अन्नकूट महोत्सव मनाया गया | मंदिर के वृन्दावन उद्यान में गोवर्धन पूजा महोत्सव के अवसर पर विशाल गोवर्धन पर्वत बनाया गया एवं छप्पन भोग अर्पित किया गया |वृन्दावन उद्यान में भगवान की गोवर्धन अन्नकूट की लीला की झांकी सजाई गई एवं गो पूजा के लिए मंदिर में गायों को सजाया गया |  संध्या आरती के समय मंदिर  में भव्य  हरिनाम संकीर्तन के साथ दीपोत्सव एवं पालकी उत्सव मनाया गया | पौराणिक प्रथा के अनुसार विशेष अन्नकूट का भी आयोजन किया गया जहां मंदिर में आये सभी भक्तों ने अन्नकूट प्रसादम  लिया |

गोवर्धन की लीला

जब परमपिता परमेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन के निवासियों को अभिमानी इंद्र की  पूजा की तैयारी करते देखा, तो इंद्र को सबक सिखाने के लिए एवं मानव समाज को शिक्षा देने के लिए  गोवर्धन पर्वत की पूजा प्रारंभ की, जो की स्वयं भगवान श्रीकृष्ण का ही रूप है । जब इंद्र को यह पता चला तो वह क्रोधित हो गए और  ब्रज मंडल पर प्रलयंकारी वर्षा की तो भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों एवं ग्वाल-बालों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी ऊँगली पर उठा लिया और ब्रजवासियों एवं गायों को आश्रय दिया। जब इंद्र अपने अपराध का बोध हुआ तो उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में प्रार्थना की |जैसा कि भगवान श्रीकृष्ण भगवद्गीता में कहते है कि हमें अपनी भौतिक इच्छाओं की पूर्ति के देवताओ  की पूजा करने के बजाय  भगवान श्रीकृष्ण की पूजा  करनी चाहिए जो समस्त इच्छाओं की पूर्ति कर सकते हैं साथ ही वो हमें इस संसार के दुखों से मोक्ष प्रदान कर सकते हैं l


हरे कृष्ण मूवमेंट जयपुर के अध्यक्ष श्री अमितासन दास ने बताया दिवाली के त्योहार के बाद गोवर्धन की पूजा की परंपरा द्वापर काल से चली आ रही है। आज यह त्यौहार पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया जाता है | भगवान कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से हुई भारी वर्षा से ब्रजवासियों को उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा कर उनकी रक्षा की थी। वही भगवान श्री कृष्ण इस कलियुग में हम सबकी रक्षा करने के लिए और हमारा उद्धार करने के लिए उनके नाम के रूप में अवतरित हुए हैं। अतः आप सभी से निवेदन है कि भगवान के पवित्र नाम हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे को प्रतिदिन कम से कम 108 बार जाप करें।जिस प्रकार दीपावली से पहले आप सभी ने घर की सफाई की , उसी प्रकार ये मंत्र हमारे हृदय के अंदर की सफाई करने में हमारी सहायता करेगा।

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