हिण्डौन में आसान नहीं दिख रही बसपा प्रत्याशी बृजेश जाटव की राह, यह है बड़ा कारण

कांग्रेस से टिकट कटने पर हिण्डौन नगर परिषद सभापति बृजेश जाटव ने अचानक बसपा ज्वाइन कर ली और किसी तरह बसपा का टिकट भी लेकर चुनावी ताल ठोक दी...


जयपुर/हिण्डौन सिटी। आगामी 25 नवंबर मतदान की तारीख नजदीक आते देख चुनाव प्रत्याशियों का प्रचार जनसंपर्क जोरों पर है और हर प्रत्याशी की टीम अपनी जीत के लिए रणनीति बनाने में दिन रात लगी हुई है। वही इधर सिर्फ कुछ दिन पहले बसपा ज्वाइन कर टिकट पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी व सभापति बृजेश जाटव की सफलता की राह में रोडा अटकाने में इनकी चुनाव प्रचार मैनेजमेंट टीम के ही कुछ लोग लगातार लगे हुए हैं। 

गौरतलब है कि कांग्रेस से टिकट कटने पर हिण्डौन नगर परिषद सभापति बृजेश जाटव ने अपने करीबी लोगों की सलाह पर बजाय निर्दलीय चुनाव लडने के अचानक बसपा ज्वाइन कर ली और किसी तरह बसपा का टिकट भी लेकर चुनावी ताल ठोक दी। कुछ दिनों बाद शहर में एक होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रत्याशी बृजेश जाटव ने  यह भी कहा कि वह जिंदगी भर बसपा सुप्रीमो मायावती के निर्देशानुसार ही काम करेंगे। इसके बाद अगले दिन से बृजेश दिन रात लगातार जनसंपर्क व प्रचार में लग गए और इस बात को बृजेश भी खुद अच्छी तरह जानते हैं कि उनके राजनैतिक भविष्य के लिए ये चुनाव जीतना कितना जरूरी है। इसके लिए वह अपनी प्रचार मैनेजमेंट टीम पर हद से ज्यादा भरोसा भी कर रहे हैं लेकिन इस टीम में कुछ लोग अपनी मनमर्जी व भारी अहंकार के चलते बसपा प्रत्याशी बृजेश जाटव की जनता के दिलों में जगह बनाने व पूरा विश्वास जगाने के बजाय उल्टा दूरी बनाने पर पता नहीं क्यों तुले हुए हैं और इस तरह चलता रहा तो कहीं बसपा को इस चुनाव में यह भारी न पड़ जाए। बृजेश जाटव के पिता विधायक भरोसी लाल अनुभवी राजनेता हैं और इसलिए पहले जब भी वह चुनाव लडते तब चुनाव प्रचार व मीडिया मैनेजमेंट की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी योग्य कार्यकर्ता व अनुभवी लोगों को ही देते थे जिससे हर बार वह आसानी से अपनी बात जनता के बीच रख पाते थे और लोग विश्वास भी करते इसी वजह से वह हर बार विधायक चुनाव जीतते रहे। जबकि इस बार तो उल्टा चल रहा है और चुनाव प्रचार मीडिया मैनेजमेंट गलत लोगों के हाथों में सौंपने से प्रत्याशी के प्रचार की पूरी जानकारी जनता के बीच सही तरीके से नहीं पहुंच पा रही है और इन चुनाव में बसपा प्रत्याशी बृजेश के प्रति आम जनता का पूरा विश्वास बन ही नहीं पा रहा है जिसका फायदा अन्य पार्टी प्रत्याशी उठाने में लगे हुए हैं। 

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