स्वर्गीय श्रीमती सुप्यार कंवर की 35वीं पुण्यतिथि पर आमरस एवं भजनामृत गंगा कार्यक्रम का हुआ भव्य आयोजन
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जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालयों में शोध की मौलिक दृष्टि विकसित करने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों द्वारा विशिष्ट ज्ञान के उत्कृष्ट पाठ्यक्रम विकसित किए जाएं।
मिश्र शुक्रवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय के ऑनलाइन दीक्षान्त समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपने क्षेत्र से संबंधित स्थानीय संस्कृति और परंपरागत ज्ञान-विज्ञान पर शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा दें।
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा मात्र जीविकोपार्जन के लिए ही नहीं हो बल्कि वह जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए होनी चाहिए। विश्वविद्यालय ऐसी शिक्षा प्रदान करने के केन्द्र बनें। उन्होंने नई शिक्षा नीति को देश के चहुंमुखी विकास पर केन्द्रित बताते हुए इसके तहत विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम अद्यतन के नवाचार किए जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जो कुछ पाठ्यक्रम में निर्धारित हो वही नहीं बल्कि उससे इतर भी जो कुछ हमारे आस-पास परिवेश में नित्य नया घटित हो रहा है, उससे भी विद्यार्थी सजग रहें, इस तरह की शिक्षा के लिए शिक्षण संस्थान निरन्तर प्रयासरत रहें। मिश्र ने शेखावाटी विश्वविद्यालय द्वारा मरू क्षेत्र में वर्षा जल की एक-एक बूंद को पारंपरिक तरीको सहेजने की परंपरा पर विशिष्ट शोध और आधुनिक संदर्भों में उसके उपयोग के लिए भी कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के शिक्षक शेखावाटी की हवेलियों के सौंदर्य, कुओं और बावड़ियों के स्थापत्य, स्थानीय लोक संस्कृति आदि की विशिष्टताओं को नई पीढ़ी तक शिक्षा के जरिए पहुंचाने की सोच पर भी कार्य करें ।
राज्यपाल ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के वैचारिक अवदान की चर्चा करते हुए कहा कि ‘एकात्म मानववाद’ के दर्शन को उन्होंने आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन, उनके चिंतन को विश्वविद्यालयी शिक्षा में समावेश कर नई पीढ़ी को तैयार करने पर भी विचार करने की हमें आज जरूरत है।
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