सरकारी खजाना लूटने के लिए DSM ने रचा बड़ा षड्यंत्र

फर्जीवाड़े के लिए महिला मरीज को बता दिया पुरुष


महिला मरीज एक दिन रही भर्ती, अस्पताल प्रशासन ने तीन दिन भर्ती दिखाकर परिजन को हस्ताक्षर के लिए किया मजबूर


अस्पताल की जांच होने पर और भी कई बड़े घोटाले आ सकते हैं सामने...

आगाज केसरी
चिड़ावा। लोहारू बाईपास रोड पर स्थित डीएसएम मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल पर आरजीएचएस के माध्यम से सरकारी खजाना लूटने का गंभीर आरोप लगा है। मामले में मरीज के भर्ती होने से लेकर बिल पास के लिए किए गए फर्जीवाड़े के कारण अस्पताल प्रशासन की विश्वसनीयता दाव पर लग गई है। 
जानकारी अनुसार शहर के लोहारू बाईपास रोड पर संचालित डीएसएम मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल पर एक युवक ने आरजीएचएस कार्ड से फर्जी बिल बनाकर फर्जीवाड़ा करने का अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर 
आरोप लगाया है। इस संबंध में लॉयल निवासी सुरेंद्र काजला ने बताया कि उसकी बहन श्रवण देवी डीडवाना के पास कलवानी गांव में एएनएम के पद पर कार्यरत है। 15 अगस्त 2024 को उसके पेट में दर्द हो रहा था। पथरी होने की वजह से पहले भी कई बार दर्द आ चुका था। इलाज के लिए चिड़ावा डीएस एम अस्पताल में जांच करवाने पर उसे आरजीएचएस कार्ड के माध्यम से भर्ती कर लिया गया। रात 10:00 बजे के करीब श्रवण देवी को छुट्टी दे दी गई। 

35000 रु का बनाया बिल

उसने बताया कि छुट्टी के बाद जो बिल मरीज को दिया गया वह 35000 रू का था जिसमें मरीज को 3 दिन के लिए 15, 16 और 17 अगस्त को भी भर्ती दिखा रखा था। श्रवण देवी और उसके भाई सुरेंद्र के विरोध करने के बावजूद बिल पर श्रवण देवी के भाई के हस्ताक्षर करवा लिए गए ।

16 अगस्त को ही कर दी थी आरजीएचएस विभाग में शिकायत

सुरेंद्र का कहना है कि 16 अगस्त को ही आरजीएच एस विभाग जयपुर में ऑनलाइन शिकायत कर दी थी लेकिन कोई भी जांच करने नहीं आया। समयानुसार 16 या 17 अगस्त को कोई अधिकारी जांच करने आ जाता तो अस्पताल का फर्जीवाड़ा उसी वक्त सामने आ जाता।

16 व 17 अगस्त को पीड़िता थी ड्यूटी पर

श्रवण देवी का कहना है कि वह 16 व 17 अगस्त को कलवानी में अपनी ड्यूटी पर थी। हाजिरी रजिस्टर में श्रवण देवी के हस्ताक्षर भी मौजूद है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि श्रवण देवी 16 व 17 अगस्त को अपनी ड्यूटी पर मौजूद थी तो DSM अस्पताल में कौन भर्ती थी।

पीड़िता के साथ ड्यूटीरत कर्मचारी ने भी किया वेरीफाई

कलवानी में कार्यरत पीड़िता श्रवण देवी के साथ ड्यूटी कर रही छोटी पुनिया ने भी वेरीफाई किया है कि 16 व 17 अगस्त को श्रवण देवी उसके साथ ही ड्यूटी पर मौजूद थी। 

अस्पताल प्रबंधन का आरोप, मांगे एक करोड़

इधर अस्पताल प्रबंधक डॉक्टर देवेंद्र चाहर ने बताया कि मरीज के भाई ने शिकायत नहीं करने के एवज में एक करोड रुपए की डिमांड की है। इस बारे में डॉक्टर देवेंद्र चाहर ने थाने में मुकदमा दर्ज करवाया है। डॉक्टर चाहर ने पुलिस को एक रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध करवाई है। 
एक ही समय एक ही नाम के दो मरीजों की वजह से हुई गड़बड़

डॉक्टर चाहर का कहना है कि 15 अगस्त को श्रवण नाम से दो मरीज भर्ती हुए थे, एक श्रवण देवी गांव खानपुर आरजीएचएस कार्ड से तथा दूसरा मैरिज श्रवण पुत्र सत्यवीर सिंह गांव खेमू की ढाणी कैश पेमेंट से भर्ती हुए थे। 

श्रवण देवी को 15 अगस्त को ही छुट्टी दे दी गई थी तथा श्रवण पुत्र सत्यवीर को 17 अगस्त को छुट्टी दी गई। नाम एक होने की वजह से टाइपिंग स्टाफ ने गलती से जो 17 अगस्त को डिस्चार्ज हुआ उसको श्रवण देवी समझ लिया तथा जो मरीज 15 अगस्त को डिस्चार्ज हुआ उसे श्रवण पुत्र सत्यवीर अंकित कर दिया। डॉक्टर चाहर के मुताबिक 30 अगस्त को पता चलने पर आर जीएचएस कार्यालय में ईमेल द्वारा सूचना दे दी गई थी।डॉक्टर चाहर के मुताबिक मुकदमा 7.11.2024 को दर्ज करवाया है। 

नहीं मिला श्रवण पुत्र सत्यवीर

अस्पताल प्रशासन नहीं दे सका मरीज के बारे में कोई ठोस जानकारी

डीएसएम अस्पताल के रिकॉर्ड के मुताबिक दूसरा मरीज श्रवण पुत्र सत्यवीर सिंह गांव खेमू की ढाणी का रहने वाला है जो अभी तक इस मामले में सामने नहीं आया। डॉक्टर चाहर ने श्रवण पुत्र सत्यवीर का एडमिट व डिस्चार्ज कार्ड उपलब्ध कराया। कार्ड के मुताबिक श्रवण का गांव खेमू की ढाणी है लेकिन हमारी टीम ने जब गांव खेमू की ढाणी में जाकर पता किया तो श्रवण पुत्र सत्यवीर नाम का कोई शख्स पूरे गांव में नहीं मिला।


अस्पताल कर्मचारी का मोबाइल नंबर दर्ज था मरीज के परिजन के नाम

अस्पताल के एडमिट कार्ड में सामान्यतया मरीज या उसके परिजन का मोबाइल नंबर दिया जाता है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा उपलब्ध करवाए गए मोबाइल नंबर पर फोन करने से पता चला कि यह मोबाइल नंबर डीएसएम अस्पताल के कर्मचारी हनुमान का है जो आरजीएचएस कार्ड से पेमेंट काट कर बिल बनाता है। 


जांच होने पर और भी बड़े घोटाले आ सकते हैं सामने...

पीड़िता ने इस मामले में प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है। ऐसे में विषय की गंभीरता को देखते हुए सक्षम व ईमानदार अधिकारी से जांच कराई जाए तो निश्चित ही फर्जीवाड़े के बड़े घोटाले सामने आ सकते हैं।

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