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सनातन समस्या नहीं समाधान है - स्वामी चिदानंद सरस्वती

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जयपुर। सनातन तोड़ना या बांटना नहीं सिखाता, सनातन जोड़ना सीखना है प्रेम सिखाता है, सनातन समस्या नहीं अपितु समस्याओं का समुचित समाधान है। नियमित ध्यान करना एवं नकारात्मक बातों पर रिएक्शन नहीं करना चाहिए। यह मार्गदर्शन अंतर्राष्ट्रीय संत स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने जयश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल महापुरा में सर्वमंगलाय सनातन धर्म फाउंडेशन के शुभारंभ के तहत आयोजित सनातन जयघोष में प्रदान किया।  समारोह में सम्मिलित होने ऋषिकेश से जयपुर पधारे स्वामी चिदानंद सरस्वती एवं साध्वी भगवती सरस्वती का सार्वजनिक अभिनंदन जयश्री परिवार स्कूल के निदेशक आयुष परिवार द्वारा पुष्प गुच्छ भेंट कर, आयोजन स्वागत समिति के अध्यक्ष गोकुल माहेश्वरी एवं सर्वमंगलाय सनातन धर्म फाउंडेशन के संस्थापक योगाचार्य योगी मनीष ने राधा कृष्ण भगवान की युगल छवि भेंट कर किया। समारोह के विशिष्ट अतिथि विधायक बालमुकुंद आचार्य, ब्रह्माकुमारी बीके सुषमा, बीके चंद्रकला, योगाचार्य ढाका राम एवं समाजसेवी सुरेश मिश्रा आदि ने गौ पूजन, वृक्षारोपण भी किया। अतिथियों के आगमन पर सनातन जयघोष आयोजन समिति के आनंद कृष्ण कोठारी, राकेश गर्ग, मनीष मालू

मुख्यमंत्री गहलोत बोले- घूंघट हो या बुर्का आधुनिक समाज में इसका क्या तुक?

जयपुर. बुधवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निवास पर गुरु नानक साहब के 550वें आगमन पर शब्द कीर्तन आयोजित किया गया। इस मौके पर गहलोत ने महिला सशक्तिकरण की बात की। उन्होंने कहा- अब घूंघट हटाओ का अभियान चलना चाहिए। देशभर की महिलाओं को इसके लिए आगे आना चाहिए।


गहलोत ने कहा कि सिर्फ महिलाओं को नहीं बल्कि इस प्रथा को खत्म करने के लिए उनसे ज्यादा पुरुष को आगे आना चाहिए। क्योंकि, पुरुष प्रधान मुल्क होने से दबाव रहता है। इस कारण महिला को घूंघट निकालना पड़ता है। घूंघट हो या बुर्का। आधुनिक युग में जहां दुनिया चांद तक पहुंच रही है, मंगल ग्रह पर जा रही है वहां पर इसका क्या तुक है?


मुख्यमंत्री ने कहा कि जिनकी कोख से हम सब पैदा हुए उन महिलाओं को सम्मान देना हमारा परम धर्म बनता है। राजस्थान जैसे प्रदेश के अंदर घूंघट प्रथा है, एक महिला को आप घूंघट में कैद रखो यह कहां की समझदारी है? हम विज्ञान के युग में हैं। मोबाइल फोन है और दुनिया मुट्ठी में है। वहीं एक महिला घूंघट में कैद रहती है। कल्पना करो क्या बीतती होगी?


उन्होंने कहा कि गुरुनानक देव जी ने उस जमाने के अंदर महिलाओं की बात की। उन्होंने हिंदू मुस्लिम एकता पर बल दिया। अपने उपदेशों में वह कहा करते थे कि मैं ना तो हिंदू हूं ना मुसलमान हूं मैं ईश्वर का भक्त हूं। वह सत्य के पुजारी थे। वह कहा करते थे 'सच सुनैसी सच की बेला' अर्थात सभी को बिना भय के सत्य बोलना चाहिए और असत्य का पक्ष नहीं लेना चाहिए। इतनी बड़ी बात उन्होंने उस जमाने में कह दी।


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