स्वर्गीय श्रीमती सुप्यार कंवर की 35वीं पुण्यतिथि पर आमरस एवं भजनामृत गंगा कार्यक्रम का हुआ भव्य आयोजन
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नेट थियेट के राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि अंतरास्ट्रीय वरिष्ठ कवि श्री बनज कुमार बनज ने""प्रेम की अरदास लेकर प्यार अपना खास लेकर, हम तुम्हारे द्वार पर तो आ गए , अब बताओ और हम जाएं कहां" सुना कर ऑनलाइन कविताओं का आनंद लेने वालों से भरपूर दाद पाई।
जयपुर के ही वेद दाधीच ने कोरोनावायरस पर प्रहार करते हुए भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना की कि वे मानवता को बचाने के लिए एक बार फिर करो ना रूपी कालिया नाग के विष को हर ले। उन्होंने कहा" हे तीनो लोक का पालनहार फेरू कलयुग की धरती पर आ जा और कोरोना महामारी हूं ई धरती ने बचाजा "
योगिता जीनत ने अपने अंदाज में""किसी ने छीन ली उसकी रवानी वह दरिया है मगर बहता नहीं है। सफर की धूप ने समझा दिया ये, दरख्तों के सिवा साया नहीं है।"
शायर मुख्तार माहिर ने "दर्द में यू सिमट गया मैं जैसे खुद से लिपट गया था मैं फिर मुझे कौन रोक सकता था अपने आगे से हट गया था मैं"तरन्नुम में सुना कर रंग जमाया।
प्रकाश मनोज स्वामी संगीत विष्णु कुमार जांगिड़ व मंच सज्जा अर्जुन, अंकित नोनू, निखिल सौरभ, अजय शर्मा, अंकित जांगिड़।
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