स्वर्गीय श्रीमती सुप्यार कंवर की 35वीं पुण्यतिथि पर आमरस एवं भजनामृत गंगा कार्यक्रम का हुआ भव्य आयोजन
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जयपुर। नेट-थियेट पर कथक गुरू मंजरी किरण ने जयपुर घराने की कथक पंरपरा को साकार किया। जयपुर घराने के कथक का तात्पर्य राजस्थानी परंपरा से है। उन्होंने कथक के तोडों पर अपनी विभिन्न मुद्राओं से जयपुर कथक के लालित्य को दर्शाया।
नेट-थियेट के राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि मंजरी किरण की शिष्याओं ने कठिन लयकारियों के साथ कथक के सात्विकभाव को प्रदर्शित कर जयपुर कथक घराने की परंपरा को जीवंत किया। कार्यक्रम की शुरूआत गणपती वंदना से हुई। उन्होंने र्कीतन "धनी वृंदावन धाम है धनी वृंदावन नाम है" जैसे चर्चित पदों पर कथक की प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम में महारास प्रस्तुति "गोपाल राधे श्याम, गोविंद हरि" पर कथक की बारीकियां व तकनीक को उजागर किया।
उनकी शिष्याओं अदिति शर्मा, दिशा भट, रिदम खण्डेलवाल, केतकी अग्रवाल एवं अंजना पिल्लई ने तीन ताल मे जयपुर कथक घराने का शुद्ध कथक जिसमें आमद, परम, तिहाई ,चक्करदार बंदिशों का प्रदर्शन किया।
संगीत विष्णु कुमार जांगिड, प्रकाश अंकित जांगिड व दृश्य सज्जा मनोज स्वामी, अंकित शर्मा नोनू, अर्जुन देव, सौरभ कुमावत, अजय शर्मा, जीवितेष शर्मा,, जितेन्द्र शर्मा, तुषार का रहा।
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