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सामाजिक दूरियां मिटाने में साहित्यकारों की अहम भूमिका - पंकज सुबीर
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जयपुर। ख्यातनाम कथाकार और साहित्य कार पंकज सुबीर का मानना है कि वर्तमान समय में समाज में बढ़ रही वैमनस्यता और सामाजिक दूरियों को कम करने की दिशा में साहित्यकार ऐसा लेखन करें जिससे समाज में बढ़ रही खाई को पाटा जा सके।
सुबीर आज त्रिमूर्ति के रंग चौबारा में शायर लोकेश कुमार सिंह साहिल के साथ एक परिचर्चा में अपनी बात कह रहे थे।
उन्होंने कहा कि आज का समय हम सबके लिए विषम परिस्थितियों वाला है और समाज में बढ़ रही आपसी कटुता सामाजिक वैमनस्यता और बढ़ती खाई को कम करना जरूरी है इसी कारण समाज में आपसी भाईचारा भी कम हो रहा है और व्यक्ति और परिवार अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
सुबीर का कहना था कि साहित्य ही एक ऐसी विधा है जो बढ़ती सामाजिक असुरक्षा को एक सूत्र में बांध सकती है इसलिए साहित्यकारों का यह नैतिक कर्तव्य है कि वे आज के समय की मांग को देखते हुए ऐसे साहित्य का सृजन करें जिससे लोगों में विश्वास और प्रेम जागृत हो।
नामचीन शायर लोकेश कुमार सिंह साहिल ने पंकज सुबीर से सहज रूप से बात करते हुए अनेक ऐसे प्रश्न पूछे जो आज की परिस्थितियों के अनुकूल ही रहे उन्होंने साहित्यकारों की अहम भूमिका और सामाजिक सरोकारों पर भी चर्चा की।
प्रारंभ में रंग चौबारा के संयोजक शांतनु भसीन ने पुष्पगुच्छ भेंट कर पंकज सुबीर का स्वागत किया । शायर नीरज गोस्वामी ने पंकज सुबीर और साहिल का परिचय देते हुए उनका शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया ।
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