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इंजीनियर करेंगे गंभीर बीमारी का इलाज
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अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय शुरू होने से पहले कर रहा अजूबे...
हरीश गुप्ता
जयपुर। इंजीनियर करेंगे गंभीर बीमारी का इलाज। सुनने में तो अजीब लगता है, लेकिन राज्य के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय में कुछ ऐसे ही अजूबे हो रहे हैं। यह तो तब है, जबकि उसका कागजों में तो जन्म हो गया, भौतिक रूप से अभी नहीं हुआ। अब देखना है बच्चा बड़ा होकर क्या गुल खिलाता है।
गौरतलब है की गहलोत सरकार के दूसरे कार्यकाल में विधि व पत्रकारिता विश्वविद्यालय खोली गई थी। बाद में वसुंधरा सरकार ने दोनों ही विश्वविद्यालय बंद कर दिए थे। उस समय राजस्थान मूल के विधि के ही प्रोफेसर यूसी सांखला को कुलपति बनाया गया था।
गहलोत सरकार ने आते ही दोनों विश्वविद्यालय फिर से शुरू कर दिए। इस नेक कार्य के लिए प्रदेश के मुखिया को बधाई। इस बार विधि विश्वविद्यालय का कुलपति मूलतः उत्तर प्रदेश निवासी डॉक्टर देव स्वरूप को बना दिया। इतना ही नहीं वे विधि विषय के ना होकर समाजशास्त्र के विषय से हैं। इससे राज्य के शिक्षाविदों ने गहरी नाराजगी है। यहां यह भी बता दे की डॉक्टर देव स्वरूप जी पूर्व में राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं और अपनी प्रशासनिक अक्षमताओं के चलते खुद चले गए थे। वैसे इन पर कुछ आरोप भी लग गए थे।
जानकारी के मुताबिक वर्तमान में देश में 12 नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी हैं। सभी में कुलपति विधि विषय के ही हैं। ऐसे ही तमिलनाडु और बेंगलुरु में स्टेट लॉ यूनिवर्सिटी है, वहां भी दोनों के कुलपति विधि विषय से ही हैं। जैसे मेडिकल यूनिवर्सिटी में मेडिकल से और इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग से ऐसे ही लाॅ यूनिवर्सिटी में लाॅ विषय से ही कुलपति बनाए जाते हैं।
सूत्रों ने बताया कि अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय के लिए यूजीसी ने जो पत्र जारी किया है उसमें अप्रूवल-रिकॉग्नाइजेशन जैसे शब्द का प्रयोग नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए निजी विश्वविद्यालय के समकक्ष मान्यता दी है।
सूत्रों ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद बार काउंसिल ने तय कर रखा है कि पहले ही वकीलों की संख्या काफी ज्यादा है ऐसे में 3 या 5 वर्षीय पाठ्यक्रम के लिए किसी नए विश्वविद्यालय को मान्यता नहीं दी जा सकती। ऐसे में बार काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता के बगैर राजस्थान के सरकारी और निजी विधि महाविद्यालय को इस विश्वविद्यालय ने संबद्धता दे दी तो उन बच्चों के भविष्य पर तलवार लटक जाएगी।
सूत्रों ने बताया कि अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति डॉ देव स्वरूप राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर में खाली क्वार्टर या भवन तलाश रहे हैं, जबकि इस विश्वविद्यालय को जमवारामगढ़ में पहले से जगह दी हुई है।
सूत्रों ने बताया कि राज्य के शिक्षाविदों में भारी नाराजगी इस तथ्य को लेकर भी है कि जो भी छात्र लाॅ में शोध करेंगे, उनका मुखिया गैर विषय का होगा तो इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर भी खासा असर पड़ सकता है।
प्रशासनिक अधिकारी को डीन :
सूत्रों ने बताया कि इसी तरह का अजूबा श्री करण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय में हुआ है। यहां आरएएस रजिस्ट्रार को डीन का कार्यभार सौंप दिया। भरतपुर और जोबनेर के कृषि महाविद्यालय में इस पद से वरिष्ठ प्रोफेसर सेवानिवृत्त हुए तो नियमानुसार किसी वरिष्ठ प्रोफेसर को ही इस पद पर बैठाना चाहिए था, लेकिन राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को बैठा दिया गया, जो एकेडमिक के बारे में कुछ समझते ही नहीं। यहां यह बता दें कि डीन रजिस्ट्रार का काम देख सकते या कर सकते हैं, लेकिन रजिस्ट्रार डीन का काम नहीं कर सकते।
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