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स्वर्गीय श्रीमती सुप्यार कंवर की 35वीं पुण्यतिथि पर आमरस एवं भजनामृत गंगा कार्यक्रम का हुआ भव्य आयोजन

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जयपुर। स्वर्गीय श्रीमती सुप्यार कंवर की 35वीं पुण्यतिथि पर सुप्यार देवी तंवर फाउंडेशन के तत्वावधान में रविवार, 19 मई, 2024 को कांवटिया सर्कल पर भावपूर्ण भजन संध्या का आयोजन के साथ आमरस प्रसादी का वितरण किया गया।  कार्यक्रम में प्रतिभाशाली कलाकारों की आकाशीय आवाजें शांत वातावरण में गुंजायमान हो उठीं, जो उपस्थित लोगों के दिलों और आत्मा को छू गईं। इस अवसर पर स्थानीय जनप्रतिनिधि, आईएएस राजेंद्र विजय, एडिशनल एसपी पूनमचंद विश्नोई, सुरेंद्र सिंह शेखावत, अनिल शर्मा, के.के. अवस्थी, अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण सहित सुप्यार देवी तंवर फाउंडेशन के अध्यक्ष राधेश्याम तंवर, उपाध्यक्ष श्रीमती मीना कंवर, मंत्री मेघना तंवर, कोषाध्यक्ष अजय सिंह तंवर एवं गणमान्य अतिथिगण उपस्थित रहे।

फारूक आफरीदी को राष्ट्रीय अणुव्रत लेखक सम्मान

लेखक की शब्द शक्ति से अंर्तात्मा का मूल भाव हजारों लोगों तक पहुंचता है...

जयपुर। अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी ने भीलवाड़ा में आयोजित एक समारोह में देश के प्रतिष्ठित व्यंग्यकार, कवि, पत्रकार एवं राजस्थान के मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी फारूक आफरीदी को उनकी अणुव्रत के प्रति अपनी सेवाओं और  साहित्यिक  योगदान के लिए वर्ष-2020 का ‘‘राष्ट्रीय अणुव्रत लेखक पुरस्कार‘‘ प्रदान किया। 

आचार्य श्री महाश्रमण जी ने लेखक आफरीदी को आशीर्वाद देते हुए अणुव्रत और जीवन विज्ञान विषय पर अपना प्रवचन देते हुए कहा की लेखक की शब्द शक्ति से अंर्तात्मा का मूल भाव हजारों लोगों तक पहुंचता है। लेखक में निर्भीकता से विचार व्यक्त करने का सामर्थ्य होता है। लेखक को पुरस्कार मिलने से उसका दायित्व और बढ़ जाता है और अन्य लोगों को आदर्श जीवन की प्रेरणा मिलती है।उन्होंने आशा जताई कि लेखक अणुव्रत के विचार को अधिक से अधिक अंकुरित करने का प्रयास करेंगे।

फारूक आफरीदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि वे इस पुरस्कार के लिए अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी और अणुव्रत लेखक मंच के कृतज्ञ हैं। आफरीदी ने कहा कि आचार्य श्री महाश्रमण जी ने अणुव्रत को जीवन के हर क्षेत्र से जोड़कर इसे व्यापकता दी है। अणुव्रत आन्दोलन नैतिक मूल्यों का जीवन्त दस्तावेज है। हर इंसान में इन गुणों का समावेश आवश्यक है। आज हम समाज और देश के प्रति अपने कर्तव्यों को भूलते जा रहे हैं। समाज में पाप, हिंसा और पाखण्ड का बोलबाला है। अणुव्रत इसका एक मात्र हल है। अणुव्रत के सिद्धांत मनुष्य को श्रेष्ठता प्रदान करने के साथ हर बुराई से बचाते हैं। यह जीवन की आचार संहिता है। देश में सभी धर्मों और विचारधाराओं का आदर-सम्मान है। सभी संस्कृतियों के समन्वय से भारत की संस्कृति को गंगा-जमुनी कहा जाता है।

आज सद्भाव की परम्परा और मजबूत विरासत को खंडित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसे मिलजुल कर बनाए रखना हम सब का दायित्व है। उन्होंने कहा कि गांधी जी के अहिंसा आन्दोलन की भांति अणुव्रत आन्दोलन सदैव प्रासंगिक रहेगा। इस आन्दोलन से सभी को जुड़ना चाहिए चाहे वह किसी धर्म, सम्प्रदाय या विचार का क्यों न हो।

आफरीदी को यह सम्मान उनके अणुव्रत विचार और साहित्यिक लेखन के लिए दिया गया है। वे देश के जाने-माने साहित्यकार हैं और लेखन के क्षेत्र में निरन्तर सक्रिय हैं। उनकी कृतियों में ‘‘मीनमेख‘‘ एवं ‘‘बुद्धि का बफर स्टॉक‘‘ व्यंग्य कृतियां और काव्य कृति ‘‘शब्द कभी बांझ नहीं होते‘‘ प्रमुख  हैं। इसके अलावा ‘‘कस्तूरबा और आधी दुनिया‘‘, राष्ट्रीय एकता पर ‘‘हम सब एक हैं‘‘ कहानी एवं ‘‘सूचना का अधिकार‘‘ जैसी कृतियों की रचना की है एवं उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथों का सम्पादन किया है।

अणुव्रत विश्व भारती, दिल्ली/राजसमंद के तत्वावधान में अणुव्रत लेखक मंच द्वारा हर वर्ष एक प्रतिष्ठित लेखक को राष्ट्रीय अणुव्रत लेखक सम्मान दिया जाता है। इससे पूर्व में यह सम्मान राजेद्र शंकर भट्ट, श्यामसिंह ‘शशि‘, नरेन्द्र शर्मा ‘कुसुम‘, मूलचंद सेठिया, आनन्द प्रकाश त्रिपाठी आदि लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकारों और विभूतियों को मिल चुका है।

प्रारंभ में अणुव्रत विश्व भारती के अध्यक्ष संचय जैन ने सभी का स्वागत किया और ललित गर्ग ने कार्यक्रम  का संचालन किया।

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