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स्वर्गीय श्रीमती सुप्यार कंवर की 35वीं पुण्यतिथि पर आमरस एवं भजनामृत गंगा कार्यक्रम का हुआ भव्य आयोजन

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जयपुर। स्वर्गीय श्रीमती सुप्यार कंवर की 35वीं पुण्यतिथि पर सुप्यार देवी तंवर फाउंडेशन के तत्वावधान में रविवार, 19 मई, 2024 को कांवटिया सर्कल पर भावपूर्ण भजन संध्या का आयोजन के साथ आमरस प्रसादी का वितरण किया गया।  कार्यक्रम में प्रतिभाशाली कलाकारों की आकाशीय आवाजें शांत वातावरण में गुंजायमान हो उठीं, जो उपस्थित लोगों के दिलों और आत्मा को छू गईं। इस अवसर पर स्थानीय जनप्रतिनिधि, आईएएस राजेंद्र विजय, एडिशनल एसपी पूनमचंद विश्नोई, सुरेंद्र सिंह शेखावत, अनिल शर्मा, के.के. अवस्थी, अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण सहित सुप्यार देवी तंवर फाउंडेशन के अध्यक्ष राधेश्याम तंवर, उपाध्यक्ष श्रीमती मीना कंवर, मंत्री मेघना तंवर, कोषाध्यक्ष अजय सिंह तंवर एवं गणमान्य अतिथिगण उपस्थित रहे।

दूध की आड़ में बिक रहा 'नशा'

- सरस डेयरी के बूथ पर बिक रहे हैं गुटखा, बीड़ी और सिगरेट


- नशे के सौदागरों को नहीं रोका गया तो और भी भयावह हो जाएंगे हालात



हरीश गुप्ता
जयपुर। एक और जहां राज्य सरकार लॉक डाउन को सफल बनाने में जुटी हुई है और दिन रात उस पर विचार विमर्श कर रही है वहीं दूसरी ओर सरस डेयरी के बूथों पर खुलेआम नशे की सामग्री का विक्रय हो रहा है। इसे नहीं रोका गया तो सामाजिक परिणाम अच्छे नहीं होंगे।


यूं तो पूरे प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बेचने वाले सरस बूथों पर सरस उत्पादन के अलावा अन्य कई वस्तुएं बेची जा रही हैं, लेकिन लॉक डाउन के बाद इन बूथों पर दुग्ध उत्पादन से जुड़ी हुई चीजों से ज्यादा बिक्री गुटखा, बीड़ी और सिगरेट जैसे नशे की सामग्री की हो रही है।


बूथ अलॉटमेंट की शर्तों को देखा जाए तो सरस डेयरी के बूथों पर सरस उत्पादन के अलावा किसी अन्य चीज का विक्रय नहीं किया जा सकता, लेकिन खुलेआम यह जहर बेचा जा रहा है। इन नशे की सामग्रियों का परिणाम है कि दूध की आड में खोलकर बैठे बूथों को सुबह से रात तक खोला जाता है चाहे दूध बूथ पर उपलब्ध हो या नहीं। पुलिस भी डेयरी का दूध बिकने के नाम पर इन बूथों को बंद नहीं करवा रही, लेकिन बूथ संचालक पुलिस से सेटिंग करके यहां नशे की सामग्री बेच रहे हैं। क्या गहलोत सरकार इस ओर कोई कदम उठाएगी?



इंसानियत को हिलाकर रख देते हैं ये सवाल...


आखिर इन बूथों पर सरस उत्पादन के अलावा अन्य सामग्री किस नियम से बिक रही है?


सरस डेयरी प्रबंधन आंखें मूंदे कर क्यों बैठा है? 


क्या प्रबंधन कि शह पर ऐसा हो रहा है? या फिर सरस प्रबंधन अलॉटमेंट की शर्ते व नियम भूल चुका है? 


कहीं ऐसा तो नहीं डेयरी प्रबंधन खुद नशे की सामग्री के विक्रय से जुड़ा हुआ है? 


जब सरकार चाहती है कि नशे की सामग्रियों के विक्रय पर रोक लगनी चाहिए ऐसे में डेयरी बूथों बिक रहा यह जहर कहीं मिलीभगत का खेल तो नहीं?


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