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जयघोषों के बीच प्रकट हुए भगवान श्री कृष्ण, श्रील प्रभुपाद जयंती आज
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श्री कृष्ण बलराम मंदिर...
जयपुर। जगतपुरा के हरे कृष्ण मार्ग स्थित श्री कृष्ण बलराम मंदिर में जन्माष्टमी महा महोत्सव की धूम रही। सुबह शुरू हुआ भक्तों का ताँता देर रात्रि महाआरती तक जारी रहा।
रात्रि 12 बजते ही शंखों एवं घड़ियालों, मृदंग करताल की मधुर धुनों एवं बासुरी की मधुर तान में गूंजते , “हरे कृष्ण महामंत्र” एवं “नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की” के जयघोषों और तालियों की करतल धवानियो के बीच भगवान भव्यता के साथ प्रकट हुए। भगवान के प्राकट्य उत्सव पर थिरकते और नृत्य करते कृष्ण भक्तों के हर्षोल्लास ने महामहोत्सव में चार चाँद लगा दिए। सम्पूर्ण मंदिर परिसर जगमग रोशनी से जगमगा उठा।
मंदिर के अध्यक्ष अमितासन दास ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण का प्राकट्य उत्सव जन्माष्टमी पर्व श्रीकृष्ण बलराम मंदिर के रूप में महामहोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस कार्यक्रम को और भव्य बनाने के लिए स्वयं इंद्र देवता ने सुबह हल्की वर्षा करके भगवान के जन्मोत्सव का स्वागत किया। मंगला आरती के साथ सुबह से ही आरतियों एवं अभिषेकों का सिलसिला शुरू हो गया। रात्रि दस बजे से महाअभिषेक के समय वैदिक मंत्रोंच्चारण में वेदों की पावन ऋचाओं में संस्कृत में सामूहिक गायन करते मंदिर के भक्तों ने भगवान के आगमन का स्वागत किया। नारियल पानी, पंचगव्य, पंचामृत, एवं अनेक प्रकार के फलों के रस से दिव्य अभिषेक किया गया। रात्रि बारह बजे महाआरती में जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालु अक्षय पुरुषोत्तम भगवान की जय, “हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की” के जयघोष करने लगे। भगवान को 108 तरह के दिव्य भोग अर्पित किये गए। मनमोहक हीरे मोतियों से जड़ित रंग बिरंगी चमकीली पोशाकों से सुसज्जित श्रीकृष्ण बलराम के नयनाभिराम श्रृंगार के दर्शन के लिए देर रात तक भक्तों का तांता लगा रहा। मंदिर में आने वाले हर श्रद्धालु को पंजीरी एवं चरणामृत का प्रसाद दिया गया। भक्तों ने मंदिर में तीन स्थानों पर भगवान को झूलों में झूलाने का आनंद प्राप्त किया, रात तक लाखों भक्तों ने मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण बलराम के दर्शन किए।
श्रील प्रभुपाद...
श्री कृष्ण बलराम मंदिर में शुक्रवार को हरे कृष्ण आंदोलन के संस्थापक एवं पवित्र पुस्तक श्रीमद भगवद गीता यथा रूप एवं बड़ी संख्या में धार्मिक पुस्तकों के लेखक भक्ति वेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद की जयंती एवं नंदोत्सव भी मनाया जाएगा एवं पालकी दर्शन होंगे। व्यास पूजा के साथ विशेष अभिषेक भी किया जाएगा ।
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