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स्वर्गीय श्रीमती सुप्यार कंवर की 35वीं पुण्यतिथि पर आमरस एवं भजनामृत गंगा कार्यक्रम का हुआ भव्य आयोजन

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जयपुर। स्वर्गीय श्रीमती सुप्यार कंवर की 35वीं पुण्यतिथि पर सुप्यार देवी तंवर फाउंडेशन के तत्वावधान में रविवार, 19 मई, 2024 को कांवटिया सर्कल पर भावपूर्ण भजन संध्या का आयोजन के साथ आमरस प्रसादी का वितरण किया गया।  कार्यक्रम में प्रतिभाशाली कलाकारों की आकाशीय आवाजें शांत वातावरण में गुंजायमान हो उठीं, जो उपस्थित लोगों के दिलों और आत्मा को छू गईं। इस अवसर पर स्थानीय जनप्रतिनिधि, आईएएस राजेंद्र विजय, एडिशनल एसपी पूनमचंद विश्नोई, सुरेंद्र सिंह शेखावत, अनिल शर्मा, के.के. अवस्थी, अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण सहित सुप्यार देवी तंवर फाउंडेशन के अध्यक्ष राधेश्याम तंवर, उपाध्यक्ष श्रीमती मीना कंवर, मंत्री मेघना तंवर, कोषाध्यक्ष अजय सिंह तंवर एवं गणमान्य अतिथिगण उपस्थित रहे।

बाड़ेबंदी का नया नाम 'धार्मिक यात्रा' !

- भाजपा के कुछ विधायकों को गुजरात भेजा गया
हरीश गुप्ता
जयपुर। कहते हैं सोते शेर को जगाना नहीं चाहिए, लेकिन यहां तो भाजपा के कुछ नेताओं ने नींद से जागे शेर को उकसा कर मुसीबत मोल ले ली। जहां पार्टी में अभी जरूरत नहीं थी फिर भी बाड़ेबंदी करने की नौबत आ गई। अब झेंप मिटाने के लिए तर्क दिए जा रहे हैं कि धार्मिक यात्रा पर जा रहे हैं।
गौरतलब है 8 अगस्त के अंक में इस संबंध में एक समाचार प्रकाशित किया था। समाचार में बताया गया था कि भाजपा में बाड़ेबंदी हो सकती है।


गौरतलब यह भी है शनिवार को सांगानेर हवाई अड्डे से 6 विधायकों को रवाना किया जा रहा था तब एक विधायक से सवाल किया गया कि कहां जा रहे हैं? इस पर जवाब मिला धार्मिक यात्रा पर। जब पूछा गया कि कहां के लिए? तब जवाब आया कि जहां का सस्ता टिकट मिल जाएगा वहीं चले जाएंगे। साहब जवाब देते वक्त भूल गए कि चार्टर प्लेन में टिकट कौन काटेगा? क्या कोई 'बड़ा कंडक्टर' भी भीतर पहले से मौजूद था?


जानकारी के मुताबिक आम आदमी यह जानना चाह रहा है कि भाजपा में बाड़ेबंदी की जरूरत क्यों आन पड़ी? दरअसल 30 के सपने दिखाने वाली घड़ी की सुई 19 पर जाकर अटक गई। ऐसे में सत्ता सुख भी हासिल नहीं हो रहा। रहा धार्मिक यात्रा का सवाल' तो कोविड-19 के समय कैसी धार्मिक यात्रा? अगर भक्ति जोर मार रही है तो शिलान्यास के समय अयोध्या क्यों नहीं गए? 'बाड़ेबंदी' जैसी नौबत तब आती है जब डर हो कि कुछ 'श्रीमान' लालच में पार्टी से दूर चले जाएंगे। यहां ऐसा भी कुछ नजर नहीं आ रहा। 


जानकारी के मुताबिक भाजपा वालों में चर्चा जोरों पर हैं, 'धार्मिक यात्रा पर भेजे जाने वालों में अधिकतर वसुंधरा राजे गुट के विधायक हैं। ... राजे कोई छोटा नाम नहीं है, देश भर में ऐसा कौन सा राज्य है जहां राजे को नहीं जानते। श्रीमती राजे आज भी अपना वजूद रखती हैं।'
भाजपा सूत्रों ने बताया की पार्टी को पहले से भीतरखाते डर था, इसलिए एक बार भी सरकार से फ्लोर टेस्ट की मांग नहीं की। उन्हें डर रहा होगा कि फ्लोर टेस्ट के चक्कर में पैरों की जमीन ना सरक जाए। एक नेताजी ने देसी भाषा में समझाया, 'छोटे पेड़ को उखाड़ोगे तो 5 ग्राम मिट्टी साथ लेकर जाएगा, लेकिन पुराना बरगद का पेड़ उखाड़ोगे तो इतनी मिट्टी साथ लेकर जाएगा कि उसके बाद जो गड्ढा होगा उसे भरने में बरसों लग जाएंगे, हो सकता है तालाब भी बन जाए।'


सूत्रों की माने तो गुजरात में 12 विधायकों को केंसविले क्लब, सानंद, अहमदाबाद, 5-6 विधायक फन रिसोर्ट, माधवपुर, सोमनाथ और 5 विधायकों को सागर दर्शन गिर सोमनाथ में ठहराया गया है। अब यह विधायक अपनी अपनी जगह धार्मिक अनुष्ठान करेंगे यह तो उन्हें ही पता।
सूत्रों की माने तो प्रदेश भाजपा के कुछ नेता जो श्रीमती राजे को राजस्थान से बाहर का रास्ता दिखाना चाह रहे हैं वह बड़े मुगालते में हैं। उन्हें यह भी पता है कि भाजपा के कुछ विधायक जो दूसरे प्रदेश में भेजे गए हैं वह क्यों भेजे गए हैं। चाहे राजे दिल्ली में  डेरा डाले बैठे हुए हैं, लेकिन उन्हें भी पल-पल की जानकारी मिल रही है और वह सभी से संपर्क में भी हैं।


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