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अनूठी है आदिवासी शिल्प और संस्कृति : महापौर

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जयपुर। सी स्कीम स्थित के के स्क्वायर मॉल में "आदि बाज़ार" का विधिवत उद्घाटन जयपुर नगर निगम ग्रेटर की महापौर डॉक्टर सौम्या गुर्जर ने किया। आदि बाजार में 15 अक्टूबर तक आदिवासी शिल्प, संस्कृति और वाणिज्य की भावनाओं का उत्सव होगा। महापौर डॉक्टर सौम्या गुर्जर ने कहा कि ट्राइफेड जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार का उपक्रम है। ट्राइफेड का मुख्य उद्देश्य जनजातीय समाज के कारीगरों में आजीविका पैदा करने, उनकी आय बढ़ाने तथा उनके उत्पादों का विपणन विकास के माध्यम से जनजातीय कारीगरों का सामाजिक-आर्थिक विकास करना है। आरएसवीपी के रीजनल मैनेजर संदीप शर्मा ने बताया कि ट्राइफेड की विपणन पहल के रूप में क्षेत्रीय कार्यालय  जनजातीय संस्कृति को प्रदर्शित करने के प्रयासों के तहत एक विशाल जनजातीय उत्सव "आदि बाजार” का आयोजन आठ दिनों की अवधि के लिए कर रहा है।  यह "आदि बाज़ार" मेला 30 जनजातीय स्टालों के माध्यम से जनजातीय हस्तशिल्प, कला, पेंटिंग, कपड़े, आभूषण और वन धन विकास केंद्रों द्वारा मूल्यवर्धित ऑर्गैनिक उत्पादों को बेचने के लिए जनजातीय कारीगरों को मूल्यवान स्थान प्रदान करता है। इसम

समर्थन मूल्य पर 1 मई से सरसों एवं चना की होगी खरीद, 782 खरीद केन्द्र किए स्थापित


जयपुर। प्रमुख शासन सचिव सहकारिता एवं कृषि नरेश पाल गंगवार ने कहा कि राज्य में 1 मई से 782 खरीद केन्द्रों पर सरसों एवं चने की समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि पूर्व वर्षों के खरीद केन्द्रों की तुलना में दुगुने से अधिक केन्द्र स्थापित कर किसानों को अपने खेत के नजदीक उपज बेचान की व्यवस्था दी गई है। कोटा संभाग में 16 अप्रेल से जारी समर्थन मूल्य पर 5500 से अधिक किसानों से 19 हजार 412 मीट्रिक टन की खरीद हो चुकी है। उन्होंने खरीद कार्य में लगे सभी अधिकारियों एवं कार्मिकों की हौसला अफजाई की।
 
गंगवार बुधवार को कृषि पंत भवन में समर्थन मूल्य पर सरसों एवं चना की होने वाली खरीद के संबंध में जिला स्तर पर सहकारिता एवं कृषि के अधिकारियों को वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 90 दिनों तक होने वाली खरीद में 16.62 लाख मीट्रिक टन सरसों एवं चना की खरीद की जानी है। उन्होंने कोविड-19 की गाइड लाइन को ध्यान में रखते हुए खरीद प्रक्रिया को सुचारू रूप से संपादित करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि 1 मई से पुनः पंजीयन भी प्रारंभ किया जा रहा है। अतः सामाजिक दूरी का विशेष ध्यान रखे।
 
प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि किसानों से सीधी खरीद हेतु 136 मुख्य अनाज मंडियों में से 130 मंडियों, 296 गौण मंडियाें में से 280 मंडियों ने अपना कार्य शुरू कर दिया है। 1426 कृषि प्रसंस्करण यूनिट को लाइसेंस जारी हो चुके है। जिसमें से 897 कार्य कर रहे है तथा 560 गौण मंडियां घोषित जीएसएस एवं केवीएसएस में से 220 ने भी कार्य शुरू कर दिया है। उन्होंने निर्देश दिए कि कफ्र्यू क्षेत्र को छोडकर शेष क्षेत्र में समन्वय बनाकर किसानों से सीधी खरीद हेतु प्रोत्साहित किया जाए एवं अक्रियाशील गौण मंडियों को सक्रिय किया जाए।
 
गंगवार ने कहा कि स्थानीय व्यापारियों को भी लाइसेंस दिए जाए। उन्होंने कहा कि खरीद की विकेन्द्रीकरण व्यवस्था से किसानों को फायदा मिलेगा एवं जीएसएस तथा केवीएसएस की आमदनी में बढोतरी होगी। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रोसेसिंग इकाइयों को सुविधा एवं मदद प्रदान करे ताकि किसानों को प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य पर सीधी खरीद का लाभ मिल सके। उन्होंने हिदायत दी कि किसानों के साथ ठगी नही होनी चाहिए। अतः किसानों को भी जागरूक करे।
 
उन्होंने कहा कि समर्थन मूल्य पर पहली बार स्थापित किये गये खरीद केन्द्रों पर विशेष फोकस करे ताकि सकारात्मक माहौल में खरीद हो सके। उन्होंने खरीद के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग, सेनेटाइजर, केन्द्रों पर लाइनिंग एवं रिंग बनाने एवं मास्क के उपयोग करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि 1 लाख से अधिक किसानों को 250 करोड रूपये से अधिक का सहकारी फसली ऋण वितरित हो चुका है। उन्होंने निर्देश दिए कि फसली ऋण वितरण के दौरान जारी किये गये दिशा-निर्देशों का पालन करे।
 
प्रबंध निदेशक, राजफैड सुषमा अरोडा ने कहा कि कोटा संभाग में किसानाें को 37 करोड़ रूपये का भुगतान हो चुका है। उन्होेंने निर्देश दिए कि किसानों को 3 से 4 दिन में भुगतान हो सके इसके लिए ईडब्लूआर को शीघ्र भिजवायें। उन्होंने हैडलिंग एवं ट्रांसर्पोेटेशन के टेण्डर पारदर्शिता से करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि एक महीने तक की खरीद के लिए बारदाने की व्यवस्था हो चुकी है तथा भंडारण हेतु गोदामों की पर्याप्त व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि 1 मई से खरीद हेतु किसानों को एसएमएस जा चुके है। उन्होंने आपसी समन्वय पर कार्य करने के निर्देश दिए।


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