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स्वर्गीय श्रीमती सुप्यार कंवर की 35वीं पुण्यतिथि पर आमरस एवं भजनामृत गंगा कार्यक्रम का हुआ भव्य आयोजन

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जयपुर। स्वर्गीय श्रीमती सुप्यार कंवर की 35वीं पुण्यतिथि पर सुप्यार देवी तंवर फाउंडेशन के तत्वावधान में रविवार, 19 मई, 2024 को कांवटिया सर्कल पर भावपूर्ण भजन संध्या का आयोजन के साथ आमरस प्रसादी का वितरण किया गया।  कार्यक्रम में प्रतिभाशाली कलाकारों की आकाशीय आवाजें शांत वातावरण में गुंजायमान हो उठीं, जो उपस्थित लोगों के दिलों और आत्मा को छू गईं। इस अवसर पर स्थानीय जनप्रतिनिधि, आईएएस राजेंद्र विजय, एडिशनल एसपी पूनमचंद विश्नोई, सुरेंद्र सिंह शेखावत, अनिल शर्मा, के.के. अवस्थी, अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण सहित सुप्यार देवी तंवर फाउंडेशन के अध्यक्ष राधेश्याम तंवर, उपाध्यक्ष श्रीमती मीना कंवर, मंत्री मेघना तंवर, कोषाध्यक्ष अजय सिंह तंवर एवं गणमान्य अतिथिगण उपस्थित रहे।

ऐसे बच सकते हैं कोरोना से, डॉ.शिवा ने बताए प्रमुख कारण और उपाय

आज विश्व भर में जिस विषाणु या वायरस कहें उसके कारण महामारी की स्थिति बन गई है।


जैसा कि हम सब जानते हैं विश्व व्यापी कोरोना वायरस जैसे विषाणु से महामारी का आगाज  हो चुका है ।



इसका मूल कारण कुछ भी हो परंतु इसके फैलने के प्रमुख कारण ये हैं : -


1 हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता की कमी।


2 हमारे जीवन और संस्कृति में आधुनिकता व खानपान मैं बदलाव आना।


3 जीवन में शारिरिक श्रम का अभाव और  या मानसिक तनाव।


अभी तक की उपचारों से यही साबित हुआ है कि कि बचाव ही उपचार है ।


भारतीय ऋषि-मुनियों के बताए हुए  योग और आध्यात्मिक जीवन को अपनाकर तथा भारतीय संस्कृति अपनाते हुए ही इस वायरस से बचा जा सकता है।


ऐसा करने से आज ही नहीं अपितु भविष्य में भी इससे हम सुरक्षित रह सकते हैं -


क्या करें  : -


(अ )कुछ पानी की क्रियाएं की जा सकती है।


👉 कुंजल क्रिया,
👉 जल नेति
👉 रबड़ नेति


(ब)आसन :-


👉 भुजंगासन,
👉 शलभासन
👉 शशांक आसन
👉 योग मुद्रा एवं
👉 विशेष रूप से सूर्य नमस्कार किया जाना चाहिए।


प्राणायाम में:-


👉 कपालभाति,
👉 उज्जाई प्राणायाम,
👉 भ्रामरी प्राणायाम और
👉 विशेष रूप से नाड़ी शोधन प्राणायाम करते हुए अपने श्वसन तंत्र और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाया जा सकता है और साथ ही साथ सूक्ष्म विधि से हम अपनी  प्राण ऊर्जा को बढ़ा सकते हैंः


सात्विक आहार लें और महामृत्युंजय मंत्र से दैनिक 11 आहुतियां देकर यज्ञ करें, जिससे कि हमारा आध्यात्मिक परिपेक्ष भी सफलता पूर्वक पूरा हो सकता है और आसपास के वातावरण को शुद्ध करके संक्रमण से बचा जा सकता है।


Dr Shiva Loharia


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