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सनातन समस्या नहीं समाधान है - स्वामी चिदानंद सरस्वती

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जयपुर। सनातन तोड़ना या बांटना नहीं सिखाता, सनातन जोड़ना सीखना है प्रेम सिखाता है, सनातन समस्या नहीं अपितु समस्याओं का समुचित समाधान है। नियमित ध्यान करना एवं नकारात्मक बातों पर रिएक्शन नहीं करना चाहिए। यह मार्गदर्शन अंतर्राष्ट्रीय संत स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने जयश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल महापुरा में सर्वमंगलाय सनातन धर्म फाउंडेशन के शुभारंभ के तहत आयोजित सनातन जयघोष में प्रदान किया।  समारोह में सम्मिलित होने ऋषिकेश से जयपुर पधारे स्वामी चिदानंद सरस्वती एवं साध्वी भगवती सरस्वती का सार्वजनिक अभिनंदन जयश्री परिवार स्कूल के निदेशक आयुष परिवार द्वारा पुष्प गुच्छ भेंट कर, आयोजन स्वागत समिति के अध्यक्ष गोकुल माहेश्वरी एवं सर्वमंगलाय सनातन धर्म फाउंडेशन के संस्थापक योगाचार्य योगी मनीष ने राधा कृष्ण भगवान की युगल छवि भेंट कर किया। समारोह के विशिष्ट अतिथि विधायक बालमुकुंद आचार्य, ब्रह्माकुमारी बीके सुषमा, बीके चंद्रकला, योगाचार्य ढाका राम एवं समाजसेवी सुरेश मिश्रा आदि ने गौ पूजन, वृक्षारोपण भी किया। अतिथियों के आगमन पर सनातन जयघोष आयोजन समिति के आनंद कृष्ण कोठारी, राकेश गर्ग, मनीष मालू

नेट-थियेट पर संस्कृत हास्य नाटक भगवदज्जुकम् का सफल मंचन

अर्जुन देव ने अपने अभिनय की छाप छोड़ी  

जयपुर। नेट-थियेट के कार्यक्रमों की श्रंखला की पुनः शुरूआत में संस्कृत के हास्य नाटक भगवदज्जुकम् के एक पात्र शांडिल्य का सोलो मंचन युवा रंगकर्मी अर्जुन देव ने अपने अभिनय से दर्शकों को बांधे रखा।

नेट-थियेट के राजेन्द्र शर्मा राजू ने बताया कि सरकार द्वारा निर्देशित कोरोना गाइड लाइन के अनुसार दर्शको तथा कलाकारों को इस भयावह महौल से उबारने के लिये एक पात्रीय कार्यक्रम की शुरूआत की गई है । जिसमें सबसे पहले मुंशी प्रेमचंद की कहानी पर आधारित नाटक का मंचन वरिष्ठ रंगकर्मी मनोज स्वामी ने किया और आज दीपक भारद्वाज द्वारा निर्देशित महान संस्कृत हास्य नाटक भगवदज्जुकम् संस्कृत भाषा में प्रदर्शन किया गया। जिसमें अभिनेता अर्जुन देव ने अपने अभिनय से संस्कृत भाषायी इस नाटक को जीवंत किया। नाटक में बाल कलाकार जिवितेश शर्मा ने मयूर  के पात्र को निभाया।

प्रस्तुत सोलो प्रस्तुति बोधायन के संस्कृत हास्य नाटक भगवज्जुकीयम् के शांडिल्य नामक पात्र पर आधारित है जिसके आरम्भ में शांडिल्य अपनी दुर्दशा का वर्णन करता है और इसी बीच उसके गुरु भगवत वहां आ पहुंचते हैं और दोनों के बीच हास्यास्पद संवाद होता है।विश्राम के लिए दोनों एक उद्यान में पहुंचते हैं और शांडिल्य उस उद्यान का सुंदर वर्णन करता है और तभी एक गणिका का सुंदर गायन सुनकर उसके साथ नृत्य करने लगता है और उस गणिका को अपना हृदय दे बैठता है।

मंच संचालन मनोज स्वामी, प्रकाश अंकित जांगिड, संगीत विष्णु कुमार जांगिड, मंच-सज्जा सौरभ कुमावत तथा अंकित शर्मा नोनू ने किया।



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