स्वर्गीय श्रीमती सुप्यार कंवर की 35वीं पुण्यतिथि पर आमरस एवं भजनामृत गंगा कार्यक्रम का हुआ भव्य आयोजन
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मोहन भागवत शुक्रवार को यहां दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित संघ के अनुषांगिक संगठन संस्कार भारती के नवनिर्मित मुख्यालय कला संकुल के लोकार्पण के मौके पर विचार रख रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्व ने पश्चिम की मनरंजन आधारित कला को चुना था, जिसमें पूर्णता नहीं है। इसलिए विश्व भटक रहा है। जब कोरोना काल आया तो विश्व को पता चला कि इसके लिए भारत के पास जाना होगा, क्योंकि भारत उस मूल तक जाता है जहां से सुख की भावना पैदा होती है।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि 'कला संकुल' के माध्यम से सभी कलाओं के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए ठोस प्रयास होंगे। उन्होंने कहा कि आज का कला जगत स्वायत्त नहीं है, समाज आधारित नहीं है। कुछ करने के लिए उसे बराबर सरकार के पास जाना पड़ता है। यही काम अंग्रेजों ने किया था। गुरुकुल को समाप्त करने की कोशिश की थी, लेकिन आज गुरुकुल फिर से खड़ा हो रहा है।
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