कोरोना के बढ़ते संक्रमण से घबराएं नहीं, सतर्क रहें - चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री


जयपुर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने प्रदेश मेें बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर आमजन का आव्हान किया है कि वे इस दौर में घबराएं नहीं बल्कि सतर्क और सजग रहकर इसका मुकाबला करें। आमजन की सजगता से ही कोरोना जैसी महामारी को नियंत्रित किया सकता है।

 

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कुछ लोगों की थोड़ी सी भी लापरवाही न केवल परिवार, समाज और राज्य पर भारी पड़ सकती है बल्कि बड़ी आपदा का रूप भी ले सकती है। उन्होंने आमजन को कोरोना का प्रोटोकॉल की पालना करते हुए बार-बार साबुन से हाथ धोने, सार्वजनिक स्थानों पर मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिग रखने, भीड़ या समूह में आवश्यकता पड़ने पर ही जाने और सभी सावधानियां बरतने की अपील की है।

 

डॉ. शर्मा ने कहा कि प्रदेश में भले ही कोरोना प्रभावितों की संख्या 20688 तक पहुंच गई लेकिन 16 हजार से ज्यादा लोग स्वस्थ होकर घर भी पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि देश में सर्वाधिक रिकवरी रेशो राजस्थान का ही रहा है। वर्तमान में 79 प्रतिशत लोग पॉजिटिव से नेगेटिव हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना से होने वाली मृत्यु दर भी 2.26 प्रतिशत ही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कुल 3949 एक्टिव केसेज हैं, जो भी सामान्य उपचार से तेजी से ठीक हो रहे हैं।

 

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकार का पूरा ध्यान ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग करने पर है। जितने ज्यादा टेस्ट किए जाएंगे, उतनी ही जल्दी कोरोना पर लगाम लगाई जा सकेगी। प्रदेश में अब तक 9 लाख 20 हजार 600 लोगों की जांचें कर प्रदेश अन्य प्रदेशों से आगे है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में दोगुने केसेज होने की संख्या भी 31 दिन जा पहुंची है, जो कि प्रदेश के लिए सुखद बात है।

 

डॉ. शर्मा ने कहा कि सरकार ने कोरोना के प्रति आमजन में जनजागरण के लिए 21 से 30 जून तक संचालित किए गए जागरुकता को 7 जुलाई तक बढ़ाया गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार कोरोना से जुड़े हर मामले में देशभर में अग्रणी रही है। बात भले ही सबसे पहले लॉकडाउन की हो या फिर मजदूरों को लाने ले जाने के लिए ट्रेन का इस्तेमाल करने का सुझाव, प्रदेश के मुखिया श्री अशोक गहलोत की सोच को देश ने भी अपनाया।

 

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि कोरोना काल का सरकार ने भरपूर सदुपयोग किया है। इस दौरान प्रदेश के सभी चिकित्सा संस्थानों का आधारभूत ढांचे को मजबूत करने की कोशिश की है। विधायक कोष के लिए खर्च किया जाने वाला बजट भी चिकित्सा संस्थानों के रख-रखाव पर खर्च होगा। सभी विधायक अपने-अपने क्षेत्रों के चिकित्सा संस्थानों को इस मद से और अधिक बेहतर बना सकते हैं।

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